मुंबई, 22 जुलाई, “नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स” (एनसीपीए) के विस्तार अभियान के अंतर्गत एक सुरुचिपूर्ण इंटर-एक्टिव भरतनाट्यम वर्कशॉप का आयोजन ‘नूपुर स्कूल ऑफ डांस’ की संस्थापिका श्रीमती निशा गिल्बर्ट के मार्गदर्शन में किया गया। यह कार्यशाला मुंबई के सायन स्थित ‘एंजल एक्सप्रेस फाउंडेशन’ के बच्चों के लिए हाल ही में आयोजित की गई।
गजानन महतपुरकर ने बताया कि इस विशेष सांस्कृतिक कार्यशाला में भरतनाट्यम के ज़रिये प्राकृतिक सुंदरता की भावपूर्ण अभिव्यक्ति का शानदार प्रदर्शन किया गया और बच्चों को भारत की इस पारम्परिक नृत्य शैली का सुगम प्रशिक्षण दिया गया।
विशेष जानकारी देते हुए नूपुर स्कूल ऑफ डांस की संस्थापिका श्रीमती निशा गिल्बर्ट ने बताया कि एन.सी.पी.ए. विस्तार एक अनूठी सांस्कृतिक पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों की नई पीढ़ी को अपने देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं परम्परा से जोड़ना है। इस सुंदर कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण “ऋतु हारम” था, जिसके अंतर्गत “मौसम की माला” संकल्पना के ज़रिये सभी मौसम और विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य बच्चों को दिखाकर उनको भी इसमें शामिल करना रहा, ताकि वे इससे जुड़ सकें, समझ सकें और भरतनाट्यम नृत्य की सुंदरता का अनुभव कर सकें।
उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में संस्था की छात्राओं अनन्या श्रीनिवासन, अदिति, अवनी, शरयू और एलिजाबेथ द्वारा भरतनाट्यम के माध्यम से ‘मानसून, वसंत, सर्दी, और गर्मी’ इन चारों मौसमों को बखूबी दर्शाया गया। इन प्रस्तुतियों में मानसून में मयूर का नृत्य, मछलियों के तैरने, मेंढकों के टर्राने एवं बच्चों के पानी में खेलने तथा वसंत ऋतु में फूलों के खिलने, पक्षियों के चहकने और मधुमक्खियों के पराग संग्रहण की मनोरम अभिव्यक्ति की गई।
इसी प्रकार सर्दियों में क्रिसमस की खुशी, सांता क्लॉज और ठंडे मौसम का आनंद ले रहे बच्चे तथा गर्मी के मौसम में मित्रों के साथ आम खाने, छुट्टियों में खेलने आदि की भावना को नृत्य प्रस्तुतियों द्वारा बखूबी प्रदर्शित किया गया।
‘एंजल एक्सप्रेस फाउंडेशन’ के बच्चे इन प्रस्तुतियों से काफी अभिभूत, उत्साहित और प्रसन्न थे। वे नृत्य और संगीत के साथ कदमताल कर रहे थे और समझ रहे थे कि कैसे रोजमर्रा की गतिविधियों एवं प्राकृतिक घटनाओं को भरतनाट्यम द्वारा खूबसूरती से व्यक्त किया जा सकता है। इस वर्कशॉप की सभी प्रतिभागियों ने प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘एन. सी. पी. ए. विस्तार’ की इस अभिनव पहल के ज़रिये हमने दूसरों के साथ अपनी कला और जुनून को साझा करने के महत्व को सार्थक ढंग से जाना और आत्मसात किया।