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अहमदाबाद, 23 अगस्त, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को गुजरात के अहमदाबाद में कहा कि धर्म और धम्म की सीख नैतिक जीवन की खोज में समाजों को लगातार मार्गदर्शन देते रहे हैं।
श्री धनखड़ ने आज यहां 8वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का उद्घाटन किया और कहा कि धर्म-धम्म के व्यापक दृष्टिकोण के प्रति ध्यान केंद्रित करने वाला यह एक विशेष सम्मेलन है। हिन्दू और बौद्ध संस्कृति के प्राचीन ज्ञान में अंतर्निहित धर्म के विचार आज भी उतने ही सुसंगत हैं, जितने वे हजारों वर्षों से थे। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी जी महाराज उपस्थित रहे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि धर्म और धम्म की सीख नैतिक जीवन की खोज में समाजों को लगातार मार्गदर्शन देते रहे हैं। सिद्धांतों की चिरस्थायी प्रासंगिकता इस बात को स्पष्ट करती है। इसने एशिया और बाहर की संस्कृतियों के सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। धर्म और धम्म की अवधारणाओं ने भारत की वैदिक परम्परा से लेकर पूरे महाद्वीप में फैले बौद्ध दर्शन तक एकीकरण की राह दिखाई है।
उव्होंने कहा कि धर्म की आस्था को टिकाए रखने के लिए धर्म का उचित आचरण आवश्यक है। यह जरूरी है कि हमारी नई पीढ़ी और युवा धर्म के विषय में और अधिक स्पष्टता से जानें तथा धर्म और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें। ऐसा करने से हम और भी बेहतर तरीके से धर्म का पालन करने वाले समाज का निर्माण कर पाएंगे और धर्म के समक्ष मौजूद चुनौतियों को दूर कर सकेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि समकालीन परिदृश्य में लोगों की सेवा करना परम धर्म है। समग्रता और पारदर्शिता के साथ तथा न्यायपूर्वक लोगों की सेवा करने एक पवित्र कर्तव्य है, जिससे मनुष्य कभी-कभी चूक जाता है। ईमानदारी को बनाए रखना धर्म का सार है। नैतिक दायित्वों से विचलित होना एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि वह लोगों के विश्वास को कमजोर करता है।
उन्होंने धर्म और कर्म के प्रति कर्तव्यों की विफलता को अधर्म का प्रतिबिंब बताते हुए उपस्थित लोंगों से मानवता की भलाई के लिए संवैधानिक धर्म का पालन करने और कराने का अनुरोध किया।
उपराष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति, इतिहास सहित धर्म के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में समझाते हुए संविधान के विभिन्न उदाहरणों, महाभारत और भगवद् गीता के सिद्धांतों और संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों एवं राज्य नीति के मार्गदर्शक सिद्धांतों का उल्लेख किया।
राज्यपाल श्री देवव्रत ने बताया कि, उपनिषदों में कहा गया है, ‘यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे’ अर्थात जो नियम ब्रह्माण्ड में काम करता है, वही नियम हमारे शरीर में भी काम करता है। भारतीय ब्रह्माण्ड विज्ञान आध्यात्मिक चेतना से प्रेरित है और इस चेतना का मूल आधार हमारे मन में है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) के अधिनियम में लिखा है कि, ‘जो युद्ध मैदान में लड़े जाते हैं, वह पहले मानव के मन में लड़े जाते हैं।’ यह वह मूल सिद्धांत है, जिसे भारतीय दार्शनिकों ने पहले ही स्वीकृति दी है ‘मानव की सबसे बड़ी चेतना का आधार उसका मन है।’
राज्यपाल ने कहा कि ‘धर्म’ और ‘धम्म’ एक ही हैं। धम्म पाली भाषा का शब्द है। दोनों का अर्थ समान है। धर्म का मूल आधार वेद है। धर्म वह है, जिसे धारण करने से धारक सुखी हो जाता है और वह जिसके संपर्क में आता है, वह भी सुखी हो जाता है। मानव जीवन को सरल, दयालु, करुणामय और सहिष्णु बनाना ही धर्म का मूलभूत सिद्धांत है। यही विचार हमारे उपनिषदों, रामायण, महाभारत एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
श्री देवव्रत ने कहा कि ध्यान और समाधि द्वारा आत्मा की साधना की जाती है, जिसमें दो प्रमुख सिद्धांत हैं अहिंसा और सत्य। दूसरे सिद्धांत हैं अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। महात्मा बुद्ध ने इन विचारों को पूरी दुनिया में फैलाने का महान काम किया है। अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य और संयम के ये सिद्धांत दुनिया को शांति के मार्ग पर ले जा रहे हैं।
राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने बताया कि, वेदों में यह कहा गया है कि धरती पर सुख-शांति किस तरह पैदा हो सकती है और एक-दूसरे के साथ हमारा व्यवहार किस तरह का होना चाहिए। वेदों के मंत्रों में यह संदेश दिया गया है कि, दुनिया के लोग साथ मिलकर संवाद करें, चिंतन करें, एक-दूसरे के सुख में सुखी और दुःख में दुःखी हों और एक-दूसरे से प्रेम करें।
उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध ने इसी भाव से पूरी दुनिया को एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया है। आज यह संदेश पूरी दुनिया के लिए शांति और भाईचारे का प्रतीक बन गया है। आइए, हम सभी साथ मिलकर हमारे ऋषि-मुनियों और महात्मा बुद्ध के इन दिव्य विचारों को जन-जन तक पहुंचाएं और दुनिया को शांति का संदेश दें।
मुख्यमंत्री श्री पटेल ने सम्मेलन में आए दुनिया भर के भिक्षुकों, आचार्यों और विद्वानों का अध्यात्म एवं ऐतिहासिकता की पौराणिक भूमि गुजरात में भावपूर्ण स्वागत किया।
उन्होंने इस सम्मेलन के लिए गुजरात की धरती के चयन को उचित करार देते हुए कहा कि देश के विकास में रोलमॉडल के रूप में उभरने वाला गुजरात धर्म और धम्म का सच्चा संगम है। यहां वलभीपुर, देवनी मोरी, आणंदपुर तथा सौराष्ट्र के खंभालिडा स्थित बौद्ध स्तूप, विहार एवं गुफाएं बौद्ध संस्कृति की प्राचीन विरासत से समृद्ध हैं।
मुख्यमंत्री ने गर्व से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जन्मभूमि वडनगर में खुदाई के दौरान मिले अवशेषों से बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक उपस्थिति का प्रमाण मिला है। इस बहुमूल्य विरासत के संरक्षण के लिए उन्होंने ‘विकास भी, विरासत भी’ का मंत्र दिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन बौद्ध इंटरनेशनल सर्किट के विकास और भारत को विश्वमित्र बनाने के उनके दोनों लक्ष्यों को परिपूर्ण करने की दिशा में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।
श्री पटेल ने कहा कि हमारी धार्मिक परम्पराओं का ब्रह्माण्ड के साथ संबंध ही उसकी असली सुंदरता है। ब्रह्माण्ड के विज्ञान की परम्परा भी हमारी प्राचीन संस्कृति के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने गत वर्ष 23 अगस्त को चंद्र पर चंद्रयान की सफल लैंडिंग को अभूतपूर्व उपलब्धि बताते हुए उपस्थित सभी लोगों को प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर उन्होंने विश्वास भी व्यक्त किया कि गुजरात में आयोजित यह सम्मेलन प्राचीन धर्म और विज्ञान को उजागर करने का एक माध्यम बनेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आयोजित जी20 समिट में पूरी दुनिया को समग्र ब्रह्माण्ड को एक परिवार मानने वाली ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारत की संस्कृति का परिचय मिला। भगवान बुद्ध और बौद्ध दर्शन भारत एवं एशियाई देशों के बीच एक मजबूत सेतु है, जिसके माध्यम से ये देश संस्कृति की डोर से बंधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात यूनिवर्सिटी ने ‘वन अर्थ, वन फैमिली’ की संकल्पना को साकार करते हुए विदेश में शाखा खोलने वाली पहली पब्लिक यूनिवर्सिटी के रूप में उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने युगांडा के राजदूत को बधाई देते हुए यह विश्वास व्यक्त किया कि इस शाखा से युगांडा में बड़ी संख्या में बसे गुजरातियों और समूचे पूर्व अफ्रीका को श्रेष्ठ शिक्षा की सेवाएं उपलब्ध होंगी।
इस अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री गोविंद देव गिरी जी महाराज ने स्वागत भाषण में कहा कि हमारा वेदोक्त सनातन धर्म और बौद्ध धम्म पूरी पृथ्वी पर मानवता फैला रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में शांति का प्रसार करने के लिए हमारे धर्म और धम्म शास्त्रों में दर्शाए गए विभिन्न मार्गों एवं उपायों के बारे में प्रबुद्ध चर्चा करने के लिए इस सम्मेलन से विशेष मंच दूसरा नहीं हो सकता।
सम्मेलन के प्रारंभ में सर्वधर्म प्रार्थना की गई। गुजरात यूनिवर्सिटी और इंडिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया है, जिसमें वेद-पुराण में छिपे ब्रह्माण्ड के रहस्यों और बौद्ध धर्म सहित अन्य विषयों पर चर्चा की जाएगी। इस अवसर पर उपस्थित महानुभावों ने पौधा लगाकर प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया।
सम्मेलन में श्रीलंका के पर्यटन मंत्री विदुरा विक्रमनायका, भूटान के गृह मंत्री त्शेरिंग तथा नेपाल के पर्यटन मंत्री बद्री प्रसाद पांडेय, गुजरात यूनिवर्सिटी की कुलपति श्रीमती नीरजा गुप्ता, श्रीलंका की महाबोधि सोसायटी, रूस, म्यांमार सहित कई देशों के बौद्ध धर्म से जुड़े महानुभाव तथा विभिन्न देशों की धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।