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Mumbai, Sep 06, बजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष शिशिर बजाज और ट्रस्टी अपूर्व नयन बजाज द्वारा महाराष्ट्र के वर्धा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों का तीन दिवसीय महत्वपूर्ण दौरा किया गया।
बजाज समूह की ओर से गजानन महतपुरकर ने आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि बजाज समूह के ‘स्वर्णिम भारत’ ध्येय के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत और ग्रामीण सशक्तिकरण की विकासात्मक डगर पर बजाज समूह के प्रयासों का विशेष सफ़र सुनिश्चित करने के क्रम में बजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष शिशिर बजाज और ट्रस्टी अपूर्व नयन बजाज द्वारा महाराष्ट्र के वर्धा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों का तीन दिवसीय महत्वपूर्ण दौरा किया गया
युगपुरुष महात्मा गांधी और बजाज समूह के संस्थापक जमनालाल बजाज की मुख्य कर्मभूमि रहे वर्धा के विभिन्न गॉंवों में बजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष शिशिर बजाज ने ट्रस्टी अपूर्व नयन बजाज के साथ मिलकर वर्धा के विभिन्न गाॅंवों का यह तीन दिवसीय दौरा 2 से 4 सितम्बर, 2024 किया गया। इस वार्षिक यात्रा का उद्देश्य 2009 से कमलनयन जमनालाल बजाज फाउंडेशन (KJBF) द्वारा कार्यान्वित विभिन्न कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के लाभार्थियों की समीक्षा करना और उनके साथ बातचीत करना था।

इन प्रयासों ने वर्धा के 1,000 गाॅंवों में 20 लाख से अधिक लोगों के जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रभावित किया है। आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप आत्मनिर्भरता और ग्रामीण सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए समुदायों को जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वाॅर्मिंग और मिलावटी खाद्य श्रृंखलाओं के प्रभावों से निपटने में मदद सुनिश्चित की गई है। पिछले 15 वर्षों से, केजेबी फाउंडेशन ने महत्वपूर्ण ग्रामीण चुनौतियों का समाधान करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
इस यात्रा के दौरान, पिता-पुत्र की शीर्ष प्रबंधन जोड़ी ने स्थायी कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, शिक्षा और आजीविका सृजन के क्षेत्रों में फाउंडेशन के हस्तक्षेप के प्रभाव को समझने के लिए किसानों, छात्रों और स्थानीय समुदायों के सदस्यों के साथ सीधे बातचीत की। दौरे के पहले दिन दोनों ने सतत कृषि और जल संसाधन प्रबंधन के क्रम में आर्वी-अष्टी नदी पुनर्जीवन स्थल के अंतर्गत सलधारा गाॅंव का दौरा किया।
उन्होंने केजेबीएफ, नाबार्ड और महाराष्ट्र सरकार के बीच सहयोगी नदी पुनरुद्धार कार्यक्रमों के आसपास चेक बांधों के चौड़ीकरण, गहरीकरण और निर्माण की समीक्षा की। इन पहलों से 10,000 एकड़ से अधिक कृषि भूमि को पानी की आपूर्ति हुई है और यह टिकाऊ कृषि के एक सम्पन्न मॉडल के रूप में सराहा गया है। इसके अतिरिक्त. केजेबी फाउंडेशन किसानों को पद्मश्री पुरस्कार विजेता सुभाष पालेकर द्वारा शुरू की गई प्राकृतिक खेती की तकनीकों से लैस और प्रशिक्षित कर रहा है, जो देशी गाय के गोबर और अन्य से बने जीवामृत, अंगियास्त्र, दशपर्णी जैसे प्राकृतिक कीटनाशकों के माध्यम से रसायन मुक्त खेती, पुनर्योजी मिट्टी प्रथाओं और पर्यावरण अनुकूल कीट प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
इस दौरान किसानों ने अपने अनुभव साझा किये कि कैसे ये तकनीकें उन्हें अपने एक एकड़ खेत के माध्यम से प्रति वर्ष 3 से 7 लाख रुपये कमाने में मदद कर रही हैं। साथ ही खाद्य श्रृंखला में रसायनों के दुष्प्रभावों से निपटने में स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं से बखूबी निपट रही हैं। किसानों ने बताया कि इन उपयोगी प्रथाओं ने उनकी पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि की है, लागत में कटौती की है और अनियमित मौसम पैटर्न के खिलाफ लचीलापन सुनिश्चित किया है। इस प्रकार प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर, वे एक स्वस्थ और पर्यावरण के प्रति जागरूक भविष्य में अहम योगदान दे रहे हैं।
फाउंडेशन के अध्यक्ष शिशिर बजाज ने इस तरह की पहल के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के सामने, पानी के हमारे प्राकृतिक स्रोतों को संरक्षित करना और टिकाऊ कृषि को अपनाना अब एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता बन गई है। उन्होंने कहा कि इन तकनीकों के माध्यम से हम ग्रामीण समुदायों को इस परिवर्तन में सबसे आगे रहने के लिए सशक्त बना रहे हैं और एक स्वस्थ और अधिक लचीले ग्रह पृथ्वी के बेहतर पर्यावरण को सुनिश्चित कर रहे हैं।
दौरे के दूसरे दिन ग्रामीण विद्यार्थियों को रचनात्मक कल्पनाओं से सशक्त बनाने का लक्ष्य पर अमल किया गया। शिशिर बजाज और अपूर्व नयन बजाज ने किरण बीर सेठी की डिजाइन फॉर चेंज (डीएफसी) पहल में भाग लेने वाले स्कूलों का दौरा किया, जो बच्चों को समस्याओं की पहचान करने और समाधानों को नया करने के लिए सशक्त बनाते हैं। इसके फलस्वरूप उन्हें अपने जीवन में बदलाव के सक्रिय एजेंट बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे शिक्षा पर ध्यान केंद्रित हो।
केजेबी फाउंडेशन ने युवा छात्रों में रचनात्मकता, नेतृत्व और जिम्मेदारी को बढ़ावा देते हुए इस शक्तिशाली कार्यक्रम को वर्धा के स्कूलों में एकीकृत किया है। यह कार्यक्रम छात्रों को अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण, स्वच्छता और नवाचार के साथ समानता जैसी उनकी समस्याओं के समाधान की कल्पना करने के लिए प्रेरित करता है।
अपूर्व नयन बजाज ने इस पहल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डिजाइन फॉर चेंज कार्यक्रम ग्रामीण बच्चों के खुद को और अपने भविष्य को देखने के तरीके को बदल रहा है। उन्हें रचनात्मक रूप से सोचने और अपने समुदायों की समस्याओं का स्वामित्व लेने के लिए सशक्त बनाकर, हम नवाचार और नेतृत्व के बीज बो रहे हैं, जिससे आने वाले वर्षों में भारत को उल्लेखनीय लाभ होगा। इसी प्रकार दौरै के अंतिम दिन का फोकस आजीविका और आर्थिक स्थिरता और सामुदायिक लचीलेपन के निर्माण पर रहा।
इस दिन शिशिर बजाज और अपूर्व नयन बजाज ने केजेबी फाउंडेशन द्वारा समर्थित स्थानीय हस्तशिल्प उद्योगों और कोल्ड प्रेस्ड तेल मिलों का दौरा किया, जो महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समूहों को वैकल्पिक आय स्रोत उत्पन्न करने और वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने पिंपलखुटा गांव में सुचारा चारा एफपीओ और अन्य किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का भी दौरा किया, जो किसानों की सौदेबाजी की शक्ति में सुधार, इनपुट लागत को कम करने और अधिक आकर्षक बाजारों तक पहुॅंचने में सहायक रहे हैं। ये एफपीओ एक सहकारी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो बाजार के उतार-चढ़ाव और जलवायु अप्रत्याशितता के खिलाफ किसानों के लचीलेपन को बढ़ाता है। अपनी विशेष यात्रा के समापन से पहले, शिशिर बजाज ने हल्दी उत्पादन के लिए लोकप्रिय वेगैन गांव में एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन भी किया।
उन्होंने इस अवसर पर वृक्षारोपण अभियान का नेतृत्व करते हुए कहा कि हम न केवल आर्थिक विकास बल्कि सामुदायिक लचीलेपन को बढ़ावा देने में विश्वास करते हैं। अपने आजीविका कार्यक्रमों और एफपीओ के माध्यम से, हम ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं, जहाॅं किसान और कारीगर बाजार की अस्थिरता और जलवायु चुनौतियों के बावजूद भी उल्लेखनीय ढंग से फल-फूल सकें। इस विशेष दौरे में बजाज समूह के सी एस आर अध्यक्ष हरिभाई मोरी भी साथ में रहे।