New Delhi, Nov 11, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) सिनेमाई उत्कृष्टता का प्रतीक है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक फिल्मों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण प्रदर्शित करता है और विभिन्न संस्कृतियों, कथाओं एवं कलात्मक गतिविधियों को दर्शाता है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार आईएफएफआई इस बात की मिसाल रहा है कि स्थानीय जड़ों से अलग हुए बिना वैश्विक ख्याति और कौशल कैसे प्राप्त किया जा सकता है। यह एक ऐसे संगम के रूप में सामने आया है जहां दुनिया भर की फिल्में, कलाकार और आगंतुक कला और शिल्प का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं। यह एक वैश्विक भाषा के रूप में सिनेमा की शक्ति का एक हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव भी है जो सीमाओं के परे है और दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं और दर्शकों को एक साथ लाता है।
यह देखना दिलचस्प है कि कैसे आईएफएफआई का पूरा ढांचा इसे स्थानीय को वैश्विक के साथ जोड़ने वाला पुल बनने का अवसर देता है। आईएफएफआई गोवा शहर में होता है, जो अपनी गहरी जड़ों वाली पुर्तगाली विरासत के लिए जाना जाता है, जिसमें खूबसूरती से संरक्षित 17वीं सदी के चर्च और आसपास के उष्णकटिबंधीय मसाला बागान हैं। गोवा के समाज का बहु-सांस्कृतिक ताना-बाना सभी संस्कृतियों के लिए समान सम्मान की वकालत करते हुए चमकता है।
आंकड़े बताते हैं कि आईएफएफआई खुद को एक ऐसे मंच के रूप में स्थापित करता है जहां विविधता को महत्व दिया जाता है। इस साल 20 से 28 नवंबर तक गोवा में होने वाले 55वें आईएफएफआई महोत्सव में उल्लेखनीय वैश्विक भागीदारी हुई है, जिसमें 101 देशों से 1,676 प्रविष्टियां और 81 देशों की 180 से अधिक फिल्में प्रस्तुत की जानी हैं। ऐसे आंकड़े आईएफएफआई की वैश्विक स्तर पर बढ़ती पहचान और विभिन्न सिनेमाई परंपराओं के बीच एक माध्यम के रूप में इसकी भूमिका को उजागर करते हैं। इसके साथ ही, कई स्थानीय भाषा की फिल्में भी स्क्रीन पर छाई हुई हैं, जो कला को पनपने के लिए एक संस्कृति से भरपूर इकोसिस्टम प्रदान करती हैं!
क्षेत्रीय सिनेमा के चैंपियन के रूप में आईएफएफआई की बेजोड़ स्थिति को प्रदर्शित करने वाले प्रमुख पहलुओं में से एक भारतीय पैनोरमा खंड है। विविधता चुनी जाने वाली कई स्थानीय भाषा की फिल्मों में परिलक्षित होती है। इस वर्ष के चयन में कुल 25 फीचर फिल्में शामिल हैं, जिनमें से पांच हिंदी फिल्में, दो कन्नड़ फिल्में, एक तमिल फिल्म, तीन मराठी फिल्में, दो तेलुगु फिल्में, एक गुजराती फिल्म, तीन असमिया, चार मलयालम, तीन बंगाली और एक गालो फिल्म हैं। इसी तरह गैर-फीचर श्रेणी में 20 फिल्मों का चयन किया गया है जिनमें सात हिंदी फिल्में, दो तमिल फिल्में, एक बंगाली फिल्म, एक हरियाणवी फिल्म, एक गारो फिल्म, एक पंजाबी फिल्म, एक लद्दाखी फिल्म, एक मराठी फिल्म, एक उड़िया फिल्म, एक तमिल, एक अंग्रेजी, एक राजस्थानी फिल्म और एक कोंकणी फिल्म शामिल हैं। यह चयन भारत में मौजूद कहानी कहने की अनगिनत परंपराओं का एक प्रमाण है, जो इसकी विविध संस्कृति का एक सूक्ष्म रूप प्रस्तुत करता है।
सह-निर्माण बाजार स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय के इस मिश्रण को और मजबूत बनाता है क्योंकि यह स्थानीय और वैश्विक फिल्म उद्योगों के सहज एकीकरण को प्रदर्शित करता है। सह-निर्माण बाजार के लिए आधिकारिक चयन में सात देशों की हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, तमिल, मारवाड़ी, बंगाली, मलयालम, पंजाबी, नेपाली, मराठी, पहाड़ी और कैंटोनीज सहित 21 फीचर फिल्में और 8 वेब सीरीज शामिल हैं। यह चयन क्षेत्रीय और वैश्विक कहानी कहने के मिश्रण के साथ एक सहयोगी और सांस्कृतिक रूप से समावेशी सिनेमाई माहौल को बढ़ावा देने के लिए आईएफएफआई के समर्पण का उदाहरण है।
इसी तरह आईएफएफआई 2024 में फिल्म बाजार की वर्क-इन-प्रोग्रेस (डब्ल्यूआईपी) लैब सिनेमा में नई आवाजों को पोषित करने के लिए महोत्सव की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। चयनित फिल्मों में ट्रिबेनी राय (नेपाली) की शेप ऑफ मोमोज, शक्तिधर बीर (बंगाली) की गंगशालिक (गंगशालिक- रिवर बर्ड), मोहन कुमार वलसाला (तेलुगु) की येरा मंदारम (द रेड हिबिस्कस), रिधम जानवे (गद्दी, नेपाली) की कट्टी री राट्टी (हंटर्स मून), सिद्धार्थ बदी (मराठी) की उमाल और विवेक कुमार (हिंदी) की द गुड, द बैड, द हंगरी शामिल हैं। विशेष रूप से, इनमें से पांच फिल्में नए निर्माताओं की फीचर फिल्म हैं, जो युवा फिल्म निर्माताओं की अपार क्षमता और अभिनव दृष्टिकोण को उजागर करती हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन मेंटरिंग के लिए लैब का हाइब्रिड मॉडल महत्वपूर्ण फीडबैक की सुविधा देता है, जिससे ये फिल्म निर्माता क्षेत्रीय प्रामाणिकता और वैश्विक अपील दोनों के साथ अपनी परियोजनाओं को परिष्कृत कर सकते हैं।
इसके अलावा, आईएफएफआई 2024 ऑस्ट्रेलिया को “कंट्री ऑफ फोकस” के रूप में सम्मानित करता है, जो एक ऐसा कदम है जो उत्सव के अंतर्राष्ट्रीय चरित्र को बढ़ाता है और भारत-ऑस्ट्रेलिया ऑडियो विजुअल सह-निर्माण संधि के माध्यम से साझा कहानी कहने की परंपराओं को रेखांकित करता है। यह अंतर-सांस्कृतिक संवाद पर जोर इस बात का उदाहरण है कि आईएफएफआई सिर्फ एक उत्सव होने से कहीं आगे निकल जाता है, जो वैश्विक कहानियों के लिए एक मिलन स्थल है, जहां विविध तरह के लोग सिनेमा का जश्न मनाने के लिए एक साथ आती हैं।
इस तरह की व्यापक वैश्विक और क्षेत्रीय भागीदारी के साथ, आईएफएफआई 2024 कलात्मक आदान-प्रदान का एक केंद्र बनने के लिए तैयार है, जो दर्शाता है कि सिनेमा सीमाओं के पार संबंधों के लिए एक माध्यम के रूप में कैसे काम कर सकता है। उभरते और अनुभवी दोनों तरह के फिल्म निर्माताओं को बढ़ावा देकर और स्थानीय प्रामाणिकता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के मिश्रण की सुविधा प्रदान करके, आईएफएफआई एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करता है जो दुनिया की ज्वलंत कहानियों का जश्न मनाता है।