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New Delhi, Feb 10, सरकार ने महिला कर्मचारियों और उद्यमियों को समर्थन देने के लिए कई पहल शुरू की हैं, जिससे महिलाओं के लिए सुरक्षित, संरक्षित और गैर-भेदभावपूर्ण वातावरण सुनिश्चित हो सके।

आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रशासित कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) में कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित और गैर-भेदभावपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए कई प्रावधान हैं।

कंपनी अधिनियम की धारा 149 के दूसरे खंड को कंपनी (निदेशकों की नियुक्ति एवं योग्यता) नियम, 2014 के नियम 3 के साथ पढ़ने पर यह अनिवार्य हो जाता है कि प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी और प्रत्येक अन्य सार्वजनिक कंपनी, जिसकी चुकता पूंजी 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो या जिसका कारोबार 300 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो, के लिए ऐसी कंपनियों में कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति करना अनिवार्य है।

निर्दिष्ट कंपनियों को अपनी बोर्ड रिपोर्ट में, जिसे वार्षिक रूप से दायर वित्तीय विवरण के साथ संलग्न किया जाना है, यह कथन  शामिल करना आवश्यक है कि कंपनी ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 [2013 का 14] के अंतर्गत आंतरिक शिकायत समिति के गठन से संबंधित प्रावधानों का अनुपालन किया है।

इसके अलावा, सरकार ने महिला कर्मचारियों और महिला स्वामित्व वाले उद्यमों को समर्थन देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जो इस प्रकार हैं:

सूक्ष्म एवं लघु उद्यम ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत महिला उद्यमियों को सहयोग देने के लिए अन्य उद्यमियों की तुलना में महिला उद्यमियों को अतिरिक्त लाभ दिया गया है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के अंतर्गत, जो एक प्रमुख ऋण-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है, जिसमें पर्याप्त लाभार्थी महिलाएं हैं, जिन्हें गैर-विशेष श्रेणी की तुलना में उच्च सब्सिडी प्रदान की जाती है।

इस योजना का उद्देश्य स्टैंड अप इंडिया (एसयूआई) के तहत ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के माध्यम से प्रत्येक बैंक शाखा में कम से कम एक अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) उधारकर्ता और एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये तक का ऋण प्रदान करना है।दिनांक 27.06.2024 को “यशस्विनी” नामक एक पहल शुरू की गई, जिसका उद्देश्य महिला उद्यमियों के लिए अभियान चलाना और टियर-II और टियर-III शहरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए महिलाओं की क्षमताओं को बढ़ाकर उन्हें सशक्त बनाना है।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और वेतन संहिता, 2019 में क्रमशः महिला श्रमिकों को मातृत्व लाभ और लैंगिक के आधार पर भेदभाव न करने के संबंध में प्रावधान हैं।

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (एसएच अधिनियम) कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए एक विधायी ढांचा प्रदान करता है। अधिनियम में उन कार्यस्थलों के मामलों से निपटने के लिए आंतरिक समिति (आईसी) के गठन का प्रावधान है, जहां कर्मचारियों की संख्या 10 या उससे अधिक है तथा अधिनियम के तहत अधिसूचित जिला अधिकारी द्वारा स्थानीय समिति (एलसी) के गठन का प्रावधान है, जहां कर्मचारियों की संख्या 10 से कम है या जहां शिकायत स्वयं नियोक्ता के खिलाफ है।

देश में उपलब्ध आईसी और एलसी के विवरण के लिए एक केंद्रीय मंच प्रदान करने के साथ-साथ पीड़ित महिला को अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए, सरकार द्वारा 29.08.2024 को यौन उत्पीड़न पर इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स) का एक नया संस्करण लॉन्च किया गया था। यह भारत सरकार द्वारा प्रत्येक महिला को, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो, संगठित हो या असंगठित, निजी हो या सार्वजनिक, यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के लिए एकल खिड़की तक पहुंच प्रदान करने का एक प्रयास है।

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 की धारा 11 (ए) में प्रावधान है कि पचास या अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाले प्रत्येक प्रतिष्ठान में क्रेच की सुविधाएं प्रदान करनी होंगी।

कामकाजी माताओं को अपने बच्चों को उचित देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने में सुविधा देने के लिए, बच्चों को डे केयर सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1 अप्रैल, 2022 को केंद्र सरकार की एक योजना ‘पालना’ शुरू की गई।

यह बात कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में कही।

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