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मुंबई में “सेतु बनती पत्रिकाऍं” विषय पर परिचर्चा आयोजित
मुंबई, 25 अगस्त, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के बैनर तले मुंबई में “सेतु बनती पत्रिकाऍं”* विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई।
गजानन महतपुरकर ने आज बताया कि मुंबई के प्रेस क्लब में आयोजित परिचर्चा में विभिन्न विद्वानों द्वारा पत्रिकाओं के विविध पहलुओं पर सुरुचिपूर्ण विचार-विमर्श किया गया। इस परिचर्चा का सफल आयोजन शनिवार की शाम किया गया। प्रास्ताविकी में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने विषय के महत्व को समझाते हुए कहा कि पत्रिकाऍं भाषा और संस्कृति के संवर्धन हेतु निरंतर कार्यरत रहती हैं। उन्होंने स्तरीय साहित्य को लोकप्रिय बनाने के लिए अकादमी द्वारा सतत सुनिश्चित की जा रही महत्वपूर्ण गतिविधियों की जानकारी दी।
वाराणसी से आए वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में कहा कि पत्रिकाऍं क्षेत्रीय सीमा का अतिक्रमण करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर मुखरित होती हैं। उन्होंने कहा कि प्रकाशक के साथ पाठक का महत्व अधिक होता है। इसीलिए पाठक के सक्रिय और जागरूक होने पर सम्पादकों को अपना निर्णय बदलना पड़ता है।
इसी क्रम में वाराणसी से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ‘सोच-विचार’ के सम्पादक नरेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में महाराष्ट्र का सबसे अधिक योगदान है। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का सामना करते हुए मिशनरी तौर पर प्रकाशित पत्रिकाऍं लेखक और पाठक तो तैयार करती ही हैं, साथ ही सृजनात्मक सूत्र भी पैदा करती हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में फिल्म सिटी के पूर्व उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्र ने कहा कि अंग्रेजीदां पत्रकारों को पीछे छोड़ते हुए आज हिंदी पत्रकार सम-सामयिक विषयों पर अधिक सक्रिय हैं। हालांकि हमें बंद होती हिंदी पत्रिकाओं के बारे में चिंता करने की विशेष आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि “सोच-विचार” ने काशी पर विशेष अंक प्रकाशित कर काशी से जुड़े अनेक संदर्भों को प्रकाशित किया है।
परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार और नवभारत टाइम्स, मुंबई के सम्पादक सुंदरचंद ठाकुर ने कहा कि पत्रिकाऍं ही उन्हें पत्रकारिता की ओर ले आईं। उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ की पहाड़ियों से उनकी सृजनात्मक यात्रा मशहूर पत्रिकाओं के सम्पादकों को पत्र लिखने से शुरू हुई। समयांतर में निरंतर विभिन्न विधाओं में लिखते हुए वे पत्रकार और साहित्यकार बने। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लघु पत्रिकाऍं नवोदित लेखकों को उचित स्थान देकर बहुत बड़ा कार्य कर रही हैं। इसलिए इन्हें सहेजने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर मंच पर मौजूद सभी अतिथिगणों ने वाराणसी से प्रकाशित होने वाली देश की प्रमुख साहित्यिक पत्रिका “सोच-विचार” के नवीनतम अंक का विमोचन भी किया। प्रारम्भ में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के वरिष्ठ कार्यकारी सदस्यों आनंद प्रकाश सिंह, गजानन महतपुरकर और श्रीमती प्रमिला शर्मा ने अकादमी की ओर से मंच पर उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह एवं पुस्तक भेंट कर उनका स्वागत सत्कार किया। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश तिवारी और संजय सिंह का भी स्वागत सत्कार किया गया। हिंदुस्तानी प्रचार सभा के परियोजना समन्वयक राकेश त्रिपाठी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. अजीत राय, सुनील सिंह, गंगाधर सिंह, श्रीमती रोशनी किरण आदि सहित बड़ी संख्या में हिंदी प्रेमी और पत्रकार उपस्थित थे। परिचर्चा का शुभारम्भ सुश्री प्रीति परमार की सुरीली सरस्वती वंदना एवं महाराष्ट्र राज्य गीत से हुआ, जबकि समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।