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New Delhi, Sep 01, मोना अग्रवाल ने  एयर राइफल  एसएच1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर वैश्विक खेल जगत में अपना दबदबा कायम किया है ।
परिचय: मोना अग्रवाल एक ऐसा नाम है जो तेजी से पैरा शूटिंग में एक उभरता सितारा जिसने जीता कांस्य पदक एयर  राइफल एसएच1  स्पर्धा  में कांस्य पदक  जीतकर वैश्विक खेल  जगत में अपना दबदबा कायम किया है।शुरुआती जीवन की चुनौतियों से  पार पाने  से  लेकर अपने  खेल में उल्लेखनीय सफलता हासिल करने तक मोना की यात्रा उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: मोना का जन्म राजस्थान के सीकर में 8 नवंबर, 1987 हुआ था। मोना को जीवन के शुरूआत में ही एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। वह केवल नौ महीने की उम्र में पोलियो से पीड़ित हो गईं, जिससे उनके दोनों निचले अंग प्रभावित हुए। इसके बावजूद, उन्होंने  दृढ़ संकल्प के साथ अपनी शिक्षा प्राप्त की, कला विषय में डिग्री पूरी की और वर्तमान में दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से मनोविज्ञान विषय में स्नातकोत्तर कर रही हैं।
धैर्य और दृढ़ संकल्प की यात्रा: 23 साल की उम्र में मोना ने घर  छोड़कर स्वतंत्र जीवन जीने का साहसिक निर्णय लिया। रास्ते में कई शारीरिक चुनौतियों को पार करते हुए, उन्होंने मानव संसाधन और विपणन भूमिकाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 2016 में, उन्होंने अपना ध्यान पैरा-एथलेटिक्स पर केंद्रित किया, जहां उन्होंने थ्रो स्पर्धाओं में राज्य में पदार्पण किया और तीनों श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने राज्य स्तरीय पैरा  पॉवरलिफ्टिंग  में भी भाग लिया और कई पदक अर्जित किये।
भारत में सिटिंग वॉलीबॉल में अग्रणी: अपनी एथलेटिक उपलब्धियों के अलावा, मोना भारत में महिलाओं के लिए सिटिंग वॉलीबॉल में भी अग्रणी रही हैं। कप्तान के रूप में,  उन्होंने  2019 में महिलाओं के लिए पहली राष्ट्रीय सिटिंग वॉलीबॉल चैंपियनशिप में राजस्थान टीम को स्वर्ण पदक दिलाया। हालांकि,  उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए चुना गया था, लेकिन वे अपनी गर्भावस्था के कारण उसमें भाग नहीं ले सकीं।
राइफल शूटिंग में हाथ आजमाया: दिसंबर 2021 में मोना  ने व्यक्तिगत खेल में खुद को आगे बढ़ाने का फैसला  किया  और राइफल शूटिंग को चुना। उनकी सहज प्रतिभा शुरू से ही स्पष्ट थी, उन्होंने 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक जीता। 2023 के मध्य तक, उन्होंने अपने पहले अंतरराष्ट्रीय विश्व कप में मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता और चौथे एशियाई  पैरा खेलों में छठे स्थान पर रहीं। मोना के दृढ़ संकल्प का फल  उसके चौथे अंतरराष्ट्रीय आयोजन में मिला, जहां उन्होंने स्वर्ण पदक और पैरालंपिक कोटा हासिल किया और एक नया एशियाई रिकॉर्ड बनाया। इस उल्लेखनीय उपलब्धि ने वैश्विक मंच  पर  पैरा  शूटिंग में एक शीर्ष दावेदार के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत कर दिया है।
प्रशिक्षण एवं सहायता: पैरा शूटिंग में मोना अग्रवाल  की सफलता  में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मोना को खेलो  इंडिया योजना और राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) कार्यक्रम जैसी पहल के माध्यम से अपने प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा की जरूरतों के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। इन कार्यक्रमों से उन्हें विश्व स्तरीय सुविधाओं का लाभ मिला,  जिसमें नई दिल्ली में डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज में भोजन और आवास के साथ-साथ आवश्यक खेल उपकरण और सहायक उपकरण भी शामिल हैं। इससे मोना को उसके कौशल को निखारने और पैरालिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के उसके सपने को हासिल करने में काफी मदद मिली।
निष्कर्ष: मोना अग्रवाल की खेल यात्रा उनकी जीवटता,  दृढ़  संकल्प और सफलता की एक प्रेरक कहानी है। फिलहाल, वह  पेरिस 2024 पैरालिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में उनकी ये उपलब्धियां भावी  खिलाड़ियों  के लिए आशा और प्रेरणा की किरण हैं।
संदर्भ: भारतीय एथलीट: पेरिस पैरालिंपिक 2024 पीडीएफ

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