मुंबई, 17 अगस्त, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ एवं प्रयास बहुउद्देशीय सामाजिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में लोकप्रिय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटलबिहारी वाजपेयी की स्मृति में ‘अटल मन के स्वप्न अटल’ शीर्षक के अंतर्गत साहित्य संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन नागपुर में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
गजानन महतपुरकर ने आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि राष्ट्रभाषा संकुल, बाबूराव धनवटे सभागृह, शंकर नगर, नागपुर में आयोजित इस सुरुचिपूर्ण आयोजन में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई की उपाध्यक्षा एवं संगोष्ठी की संयोजिका श्रीमती प्रियंका शक्ति ठाकुर ने प्रास्ताविक वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के लोकप्रिय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी का पुण्य स्मरण करना काफी प्रसंगोचित है।
उन्होंने बताया कि कि अटल जी का अद्भुत काव्य सृजन देश भक्ति के भावों से सिंचित रहा है, जो आदर्शों की राजनीति को शिखर पर ले जाने में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसलिए भविष्य में भी अटल जी की काव्य रचनाऍं हर तरह की चुनौतियों से निपटने में हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।
समारोह के उद्घाटक तथा बीज वक्ता के रूप में दत्ता मेघे उच्च शिक्षा एवं रिसर्च संस्थान, नागपुर के प्रति कुलाधिपति एवं प्रतिष्ठित शिक्षाविद डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने इस सुनियोजित आयोजन की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि अटल जी की विचार वाणी में कहीं भी अतिरेक, अट्टहास और दुराग्रह नहीं था। राष्ट्रधर्म, संस्कृति निष्ठा, सांस्कृतिक धरोहर और सांस्कृतिक विन्यास, राष्ट्रीय चेतना, संगठन शक्ति उनके व्यक्तित्व के शक्ति तत्व थे। इन्हीं शक्ति केंद्रों के साथ अटल जी ने अपनी विलक्षण साहित्यिक प्रतिभा के बल पर अपने राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष सभी को अत्यधिक प्रभावित किया और सभी दलों के लोकप्रिय नेता बने।
समारोह के अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ के अध्यक्ष अजय पाटिल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वैचारिक समाहार करते हुए कहा कि राष्ट्रपुरुष अटल जी की स्मृति मशाल को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रज्वलित करके महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने तिरंगे की शान को और अधिक गौरवान्वित कर दिया है।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हिंदी साहित्य अकादमी मराठी और अन्य भाषाओं को भी अपने साथ जोड़ती चले, तो राष्ट्र की संगठन शक्ति उत्तरोत्तर बढ़ेगी। इस अवसर पर गणमान्य रंगकर्मी नरेश गडेकर, संजय भाकरे तथा कवि सम्मेलन में शामिल प्रसिद्ध कलमकारों दयाशंकर तिवारी ‘मौन’, श्रीमती सरोज व्यास, अविनाश बागड़े, श्रीमती हेमलता मिश्र ‘मानवी’ और सुश्री सोनू जेसवानी ‘अग्निशिखा’ का सत्कार किया गया।
समस्त कार्यक्रम का सुचारू सूत्र संचालन डॉ. सोनू जेसवानी ने किया। आभार प्रदर्शन महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य जगदीश थपलियाल ने किया। अकादमी के सदस्य विजेन्द्र बत्रा भी इस अवसर पर मौजूद थे।