मुंबई, 19 अगस्त, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की कार्यशाला में नई शिक्षा नीति पर गहन मंथन हुआ।
गजानन महतपुरकर ने आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् डाॅ. यशाेवर्धन सिंह ने इस अवसर पर कहा शिक्षा का सरल अर्थ ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ मानवीय मूल्याें का संवर्धन भी है। अत: शिक्षा और ज्ञान में बडा फर्क है। शिक्षा का ध्येय परीक्षा नहीं, ज्ञानार्जन है, यह शिक्षक तो समझें ही, किंतु पहले पालक भी समझ लें।
डॉ. सिंह ने उपरोक्त विचार महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा नई शिक्षा नीति पर आयोजित संगोष्ठी एवं कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कुछ मूलभूत परिवर्तन किए गये हैं। इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मातृभाषा में कक्षा पाॅंचवीं तक शिक्षा देने का प्रावधान है, क्योंकि मातृभाषा ही ज्ञानार्जन का सरल और सशक्त माध्यम हो सकती है। उन्होंने अपने व्याख्यान में नई शिक्षा नीति की विभिन्न खूबियाें पर रोशनी डाली। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा ‘नई शिक्षा नीति में भाषा, मातृभाषा और हिंदी’ विषय पर यह एक दिवसीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला रविवार काे अकोला के तोषनीवाल विज्ञान महाविद्यालय के सभागार में आयोजित की गई। इस कार्यशाला में करीब दो सौ अध्यापकों और पालकों का पंजीयन हुआ। कार्यशाला के स्वागताध्यक्ष बेरार एजुकेशन साेसायटी के अध्यक्ष अधिवक्ता माेतीसिंह माेहता रहे। कार्यशाला का विधिवत् उद्घाटन डाॅ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के कुलसचिव डाॅ. सुधीर राठाेड़ ने किया। विषय विशेषज्ञ वक्ता के रूप में मुख्याध्यापिका डाॅ. श्वेता दीक्षित और विशेष अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि घनश्याम अग्रवाल उपस्थित रहे।
मंच पर मौजूद महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य तथा संगाेष्ठी के समन्वयक श्याम शर्मा और डाॅ. प्रमाेद शुक्ल के कुशल संयोजन में यह आयोजन सम्पन्न हुआ।
दूसरे सत्र काे डाॅ. यशाेवर्धन सिंह ने सम्बाेधित किया। इस सत्र की अध्यक्षता डाॅ. शैलेंद्र दुबे ने की। अतिथियाें का सत्कार अनुराग मिश्रा, टूली जीवतरामाणी, धनंजय मिश्रा, महेश पांडे, हरीश शर्मा के हाथाें किया गया। डाॅ. सिंह का परिचय सरलता वर्मा तथा डाॅ. श्वेता दीक्षित का परिचय प्रा. तस्नीम वाेरा ने करवाया। प्रस्तावना डाॅ. प्रमाेद शुक्ल ने रखी। संचालन कृष्ण कुमार शर्मा और प्रा. तस्नीम वाेरा ने तथा आभार प्रदर्शन श्याम शर्मा ने किया। संगाेष्ठी के अंत में सभी पंजीकृत शिक्षकाें काे प्रमाणपत्र भी दिये गये। उद्घाटन सत्र के उपरांत आयाेजित प्रथम सत्र में बताैर वक्ता डाॅ. श्वेता दीक्षित ने पीपीटी के माध्यम से नई शिक्षा नीति की विविध विशेषताओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि माैजूदा सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप शिक्षा नीति में किये गये व्यापक बदलावों के माध्यम से स्कूलाें में शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने के हरसम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के सभी पहलुओं पर व्यापक अमल करके विद्यार्थियाें का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। इस सत्र की अध्यक्षता प्रा. शारदा बियाणी ने की।