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New Delhi, Feb 08, प्रयागराज महाकुंभ 2025 में आगामी 16 फरवरी से तीन दिवसीय इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जायेगा, जिसमें 200 प्रजातियों के पक्षियों का संगम होगा ।
आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि प्रयागराज महाकुंभ 2025 में  पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए आगामी 16 से 18 फरवरी के बीच तीन दिवसीय इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 200 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी और स्थानीय पक्षियों का संगम देखने को मिलेगा। यह आयोजन पर्यावरण प्रेमियों, पक्षी विज्ञानियों और श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा अवसर होगा, जहां वे पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों का अवलोकन कर सकेंगे और उनके संरक्षण के महत्व को समझ सकेंगे।
इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल न केवल पक्षियों को देखने का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि यह विभिन्न प्रतियोगिताओं और शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाएगा। इस कार्यक्रम के तहत फोटोग्राफी, पेंटिंग, नारा लेखन, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, तकनीकी सत्र और पैनल चर्चाओं में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक, पर्यावरणविद् और संरक्षण विशेषज्ञ अपने विचार साझा करेंगे।
वन विभाग के आईटी हेड आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य युवाओं, पर्यावरण प्रेमियों और श्रद्धालुओं को पक्षियों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा के प्रति प्रेरित करना है। सरकार इस आयोजन को और भी आकर्षक बनाने के लिए प्रतियोगिताओं के विजेताओं को 10,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक के कुल 21 लाख रुपये के पुरस्कार प्रदान करेगी।
इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल के दौरान श्रद्धालु लुप्तप्राय इंडियन स्कीमर, फ्लेमिंगो और साइबेरियन क्रेन जैसे दुर्लभ पक्षियों को नजदीक से देख सकेंगे। यह आयोजन महाकुंभ में आने वाले पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता की महत्ता को समझाने का अवसर भी प्रदान करेगा। साइबेरिया, मंगोलिया, अफगानिस्तान सहित 10 से अधिक देशों से हजारों प्रवासी पक्षी प्रयागराज के गंगा-यमुना तटों पर पहुंचे हैं, जो अपनी अनोखी उड़ानों और समूहबद्ध प्रवास से पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। डीएफओ प्रयागराज अरविंद कुमार यादव ने बताया कि यह महोत्सव केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान का हिस्सा बनेगा। उन्होंने कहा कि पक्षियों के संरक्षण से ही प्राकृतिक आपदा प्रबंधन और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बना रह सकता है और इस प्रकार के आयोजन लोगों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने में मदद करेंगे।
प्रयागराज मेला प्रशासन के निर्देश पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष इको टूरिज्म प्लान तैयार किया गया है, जिससे वे पक्षियों को देखने और उनके प्राकृतिक आवास के महत्व को समझने का अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। बर्ड वॉक और नेचर वॉक के माध्यम से विशेषज्ञों के साथ मिलकर श्रद्धालु पक्षियों के व्यवहार, उनकी प्रवास यात्राओं और पारिस्थितिकी में उनकी भूमिका को करीब से समझ सकेंगे।इसके अलावा, महाकुंभ क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नुक्कड़ नाटकों, चित्रकला प्रदर्शनियों और अन्य गतिविधियों के माध्यम से पक्षी संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाएगी।
इस आयोजन का उद्देश्य न केवल श्रद्धालुओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में कदम उठाना भी है।इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल में शामिल होने वाले पक्षी प्रेमी, शोधकर्ता, वैज्ञानिक और छात्र पक्षी विज्ञान और संरक्षण से जुड़ी नई जानकारियां प्राप्त करेंगे। विभिन्न सत्रों में पक्षियों की प्रवास यात्राओं, उनके आवासों की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उनके अस्तित्व से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों पर चर्चा की जाएगी।यह महोत्सव न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जैव विविधता और पर्यावरणीय स्थिरता को लेकर एक मजबूत संदेश देगा। पक्षियों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में छात्रों की भागीदारी उन्हें प्रकृति से जोड़ने और उनकी जिम्मेदारी को समझने का अवसर प्रदान करेगी। महाकुंभ 2025 में आयोजित होने वाला इंटरनेशनल बर्ड फेस्टिवल भारतीय संस्कृति, प्रकृति प्रेम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का एक अनूठा मिश्रण होगा। यह आयोजन श्रद्धालुओं और पर्यटकों को प्राकृतिक संपदा के महत्व को समझाने, जैव विविधता को बचाने और सतत विकास के प्रति प्रेरित करने का कार्य करेगा।सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाएं और योजनाएं न केवल महाकुंभ को एक ऐतिहासिक आयोजन बना रही हैं, बल्कि भविष्य के लिए पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही हैं। महाकुंभ 2025 का यह आयोजन केवल श्रद्धालुओं के लिए नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, पर्यावरणविदों और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक सीख और प्रेरणा बनेगा। यह आयोजन संस्कृति, आस्था और प्रकृति के अनोखे संगम का साक्षी बनेगा, जहां श्रद्धालु केवल आध्यात्मिक रूप से नहीं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को भी गहराई से महसूस करेंगे।

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