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Mumbai, Oct 14, वरिष्ठ कवयित्री डॉ. कनक लता तिवारी के काव्य-संग्रह “अमलतास के फूल” पर यहां परिचर्चा आयोजित की गई।
गजानन महतपुरकर ने आज यहां बताया कि गोरेगॉंव, मुंबई, Maharashtra स्थित केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट के मृणालताई हाॅल में ‘अमलतास के फूल’ पर विविध आयामी चर्चा हुई।
कविता मैदान में प्रवाहित किसी नदी की तरह होती है। नदी के दोनों किनारे प्रवाह को नियंत्रित करते हैं, तभी लहरों की कल-कल में मोहक संगीत सुनाई देता है। डॉ. कनकलता तिवारी की कविताऍं भी मन में प्रवाहित भावनाओं की सहज अभिव्यक्ति हैं।
उपरोक्त उद्गार जाने-माने गीतकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार देवमणि पांडेय ने “अमलतास के फूल” पर आयोजित परिचर्चा के दौरान व्यक्त किये। इस दौरान उन्होंने कहा कि अपनी सोच, सरोकार और अपने नज़रिये से डॉ. कनक लता अपने अंतर्मन की भावनाओं पर नियंत्रण रखती हैं। उन्होंने समय और समाज के सवालों के साथ ही अपनी परम्परा और संस्कृति को अपनी अभिव्यक्ति का ज़रिया बनाया है। उनकी कविताओं में नारी अस्मिता के साथ ही भूख, ग़रीबी और देश प्रेम भी परिलक्षित होता है।
सावन और आषाढ़ के साथ तीज त्यौहार और उत्सव भी हैं। मन की कोमल अनुभूतियों के साथ ही निजी अनुभवों और स्मृतियों के चित्र भी हैं। उनकी काव्य अभिव्यक्ति में सहजता और संप्रेषणयता है। श्री पांडेय ने उम्मीद व्यक्त की कि विविध रंगों और सुगंधों से समृद्ध कनक लता का यह संग्रह पाठकों को अवश्य पसंद आयेगा।
इस अवसर पर अन्य वरिष्ठ साहित्यकारों राजेश सिन्हा, कृपाशंकर मिश्र और विजय पंडित ने भी विमोचित काव्य संग्रह की कविताओं पर विचार व्यक्त किये। सभी वक्ताओं ने उनकी कविताओं को सराहा तथा उन्हें एक सफल और सशक्त कवयित्री बताया। काव्य पाठ के सत्र में विभिन्न कवियों और कवयित्रियों ने अपनी विविधरंगी कविताओं से माहौल को ख़ुशगवार बना दिया। हॅंसते – मुस्कराते ठहाकों और तालियों के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
कार्यक्रम का सुरुचिपूर्ण संचालन डॉ. मधुबाला शुक्ल ने किया। डॉ. कनक लता तिवारी शब्दाक्षर महाराष्ट्र संस्था की अध्यक्षा हैं। इस संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने डॉ. कनक लता के नवीनतम काव्य-संग्रह के विमोचन पर उन्हें हार्दिक बधाई दी है।

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