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Ahmedabad, Sep 13, उत्तर Gujarat परिक्षेत्र, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव तीन पीढ़ियों से हिंदी के विकास में जुटे हैं।
श्री यादव ने हिन्दी दिवस 14 सितम्बर पर कहा कि सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हम सबकी पहचान है, यह हर हिंदुस्तानी का हृदय है। डिजिटल क्रान्ति के इस युग में हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है।
वहीं उनकी पत्नी सुश्री आकांक्षा का मानना है कि, हिंदी राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने वाली तथा विभिन्न संस्कृतियों, विधाओं और कलाओं की त्रिवेणी है, जिसके साहित्य में समाज की विविधता, जीवन दृष्टि और लोक कलाएं संरक्षित हैं। आज परिवर्तन और विकास की भाषा के रूप में हिन्दी के महत्व को नये सिरे से रेखांकित किया जा रहा है।
हमारे देश में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। हिंदी को लेकर तमाम विद्वान, संस्थाएँ, सरकारी विभाग अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इन सबके बीच उत्तर गुजरात परिक्षेत्र, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का अनूठा परिवार ऐसा भी है, जिनकी तीन पीढ़ियाँ हिंदी की अभिवृद्धि के लिए न सिर्फ प्रयासरत हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर कई देशों में सम्मानित हैं।
मूलत: उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जनपद निवासी श्री कृष्ण कुमार यादव के परिवार में उनके पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ पत्नी सुश्री आकांक्षा यादव और दोनों बेटियाँ अक्षिता व अपूर्वा भी हिंदी को अपने लेखन से लगातार नए आयाम दे रही हैं। देश-दुनिया की तमाम पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ श्री यादव की 7 और पत्नी सुश्री आकांक्षा की 4 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
प्रशासनिक सेवा के दायित्वों के निर्वहन के साथ उनकी ‘अभिलाषा’ (काव्य संग्रह), ‘अभिव्यक्तियों के बहाने’, ‘अनुभूतियाँ और विमर्श’ (निबंध संग्रह), ‘क्रांति यज्ञ : 1857-1947 की गाथा’, ‘जंगल में क्रिकेट’ (बाल गीत संग्रह) एवं ’16 आने,  16 लोग’ सहित कुल सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक – साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता व प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु शताधिक सम्मान प्राप्त श्री यादव को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और सिक्किम के राज्यपाल भी सम्मानित कर चुके हैं। हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में इस परिवार का नाम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अग्रणी है। ‘दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति’ सम्मान से विभूषित यादव दम्पति को नेपाल, भूटान व श्रीलंका में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन’ में “परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान” सहित अन्य सम्मानों से नवाजा जा चुका है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान ‘पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड’ श्रेणी में सुश्री आकांक्षा यादव के ब्लॉग ‘शब्द-शिखर’ को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है।

फिरदौस अमृत सेंटर स्कूल, कैंटोनमेंट, अहमदाबाद में अध्ययनरत इनकी दोनों बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा भी इसी राह पर चलते हुए अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के बावजूद हिंदी में सृजनरत हैं। अपने ब्लॉग ‘पाखी की दुनिया’ हेतु अक्षिता को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में सबसे कम उम्र में ‘राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। अक्षिता को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, नई दिल्ली (2011) में भारत के पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ‘श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर‘ सम्मान से अलंकृत किया, तो अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, श्रीलंका (2015) में भी अक्षिता को “परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया गया। अपूर्वा ने भी कोरोना महामारी के दौर में अपनी कविताओं से लोगों को सचेत किया।

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