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Mumbai, Sep 02, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की संगोष्ठी में शिक्षकों और सोशल मीडिया की भूमिका पर गहन विचार मंथन किया गया।
गजानन महतपुरकर ने आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी एवं संकल्प साहित्य कला मंच के संयुक्त तत्वावधान में कनिष्ठ महाविद्यालय के शिक्षकों के लिए एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन मुंबई के सांताक्रुज स्थित डॉ. नजमा हेपतुल्लाह सभागार में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस संगोष्ठी में शामिल विभिन्न विद्वानों और विषय विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों और सोशल मीडिया मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर गहन विचार मंथन किया।
इस संगोष्ठी का विषय “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विद्यार्थियों के विकास में सोशल मीडिया एवं शिक्षकों की भूमिका“ रखा गया था। संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने की, जिन्होंने विषय की विवेचना के अलावा महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की विभिन्न गतिविधियों और उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी। विशेष अतिथि के रूप में पधारे नवभारत टाइम्स, मुंबई के सम्पादक सुंदर चंद ठाकुर ने सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किये। प्रथम सत्र के वक्ता के रूप में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य आनंद सिंह, वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक एवं पत्रकार श्रीमती रेखा खान एवं एडवोकेट ओम प्रकाश मिश्रा ने भी सोशल मीडिया के सकारात्मक और अन्य पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत कर विषय को सार्थकता प्रदान की। इस सत्र का संचालन डॉ. ममता झा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती विनीता आर. ने किया।
दूसरे सत्र का विषय था “वर्तमान परीक्षा परिपेक्ष्य में विद्यार्थियों के विकास के लिए शिक्षकों की भूमिका”। इस सत्र में वक्ता के रूप में पुणे से आये भाषा विशेषज्ञ प्रो. शशि निघोजकर ने शिक्षकों को सलाह दी कि वे स्वयं विषय को भली-भांति पढ़ने के बाद ही विद्यार्थियों को पढ़ाना शुरू करें। उन्होंने भाषा ज्ञान के विभिन्न ज़रूरी पहलुओं पर गहराई से जानकारी प्रदान की।भवन्स महाविद्यालय, अंधेरी की प्राध्यापिका डॉ. दीप्ति सावंत ने विद्यार्थियों में हिंदी भाषा के प्रति अभिरुचि जागृत करने पर ज़ोर दिया। सेंट ऐंस जूनियर कॉलेज, मालाड की प्राध्यापिका सरिता उपाध्याय ने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों की भूमिका पर अपने बहुमूल्य विचार प्रस्तुत किये। इस सत्र में विशेष अतिथि आर. डी. नेशनल कॉलेज की पूर्व प्राचार्य एवं समीक्षक डॉ. मंजुला देसाई ने शिक्षकों के भाषा ज्ञान के अलावा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और मनोवैज्ञानिक विकास पर अपने विचार रखे।
सुप्रसिद्ध शिक्षाविद एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दयानंद तिवारी ने इस सत्र अध्यक्षता की, जिन्होंने अपने रोचक अध्यक्षीय सम्बोधन में सुरुचिपूर्ण वैचारिक अभिव्यक्ति सुनिश्चित की। इस सत्र का संचालन श्रीमती सुनीता चौहान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन मनीषा सिंह ने किया।
इस अवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य एवं वरिष्ठ गीतकार गजानन महतपुरकर, लोकप्रिय कवि डॉ. मुकेश गौतम, वरिष्ठ साहित्यकार एडवोकेट राजीव मिश्रा और श्रीमती रीमा राय सिंह सहित बड़ी संख्या में हिंदी साहित्य सेवी और भाषा प्रेमी उपस्थित रहे। इस संगोष्ठी में मुंबई के प्रतिष्ठित कनिष्ठ महाविद्यालयों के लगभग साठ शिक्षकों ने अपनी सहभागिता दर्ज करके संगोष्ठी को सफल बनाया। संगोष्ठी का शुभारम्भ महाराष्ट्र राज्य गीत और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जबकि समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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