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Mumbai, Sep 21, Maharashtra के मुंबई विश्वविद्यालय में त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका “सृजनिका” के तृतीय अंक का लोकार्पण किया गया।
गजानन महतपुरकर ने आज बताया कि मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित एक शालीन एवं सुरुचिपूर्ण साहित्यिक कार्यक्रम में निरंतर लोकप्रिय होती त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका “सृजनिका” के तृतीय अंक का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर “सृजनिका” एवं “शोधावरी” द्वारा मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर संयुक्त रूप से आयोजित हिंदी कहानी प्रतियोगिता के मेधावी विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
यह यादगार विमोचन कार्यक्रम मुंबई विश्वविद्यालय के कलीना परिसर स्थित शंकरराव चव्हाण भवन के शोधावरी बैठक कक्ष में सम्पन्न हुआ। कवयित्री रोशनी किरण की मधुर आवाज़ में सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। अपने स्वागत सम्बोधन में “सृजनिका” के सम्पादक डॉ. अमरीश सिन्हा ने यह सूचित किया कि “सृजनिका” पत्रिका बहुत तीव्रता से जनमानस के हृदय में अपना स्थान बना रही है। उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशनों के स्टाॅलों पर “सृजनिका” की उपलब्धता तथा पाठकों और विक्रेताओं द्वारा लगातार इसकी मांग करना इस पत्रिका की लोकप्रियता की प्रमाणिकता को सिद्ध करता है।
वरिष्ठ कवि, सलाहकार सम्पादक और मुंबई विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. हूबनाथ पांडे ने “सृजनिका” को देश की बहुचर्चित एवं प्रसिद्ध तीन पत्रिकाओं के बराबर एक अकेली पत्रिका के रूप में रेखांकित किया और इसकी शुद्धता, गरिमा एवं व्यापकता का उल्लेख किया। उनके द्वारा प्रस्तुत सशक्त कविता “लड़ाका लड़कियॉं ” ने दर्शकों की भरपूर तालियॉं बटोरीं।
जाने-माने मंच प्रस्तोता, वरिष्ठ कवि और “सृजनिका” के सह सम्पादक आनंद प्रकाश सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस पत्रिका के विमोचन के अवसर पर सम्पादक मंडल, प्रकाशक, मुद्रक और पाठक वर्ग का एक साथ एकत्र होना इस पत्रिका के प्रति सभी के प्रेम को दर्शाता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि, कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा “सृजनिका” के प्रधान सम्पादक संतोष कुमार झा ने पत्रिका के सम्पादक मंडल को बधाई देते हुए इस पत्रिका की उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की। उन्होंने व्यंग्य लेखन के पुरोधा हरिशंकर परसाई द्वारा कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के जीवन पर लिखे व्यंग्य “फटा जूता” का वाचन कर श्रोताओं का मन मर्म से मोह लिया। उन्होंने और मंच पर विराजमान अन्य गणमान्यों ने संयुक्त रूप से “सृजनिका” के नव प्रकाशित तीसरे अंक का विमोचन किया। “सृजनिका” के मुख्य उप सम्पादक राजेश कुमार सिन्हा ने पत्रिका पर केंद्रित अपनी रचना से सभागार को अभिभूत किया।
इस अवसर पर मुंबई की कवयित्री रीमा सिंह, लोकप्रिय ग़ज़लकार राकेश शर्मा एवं छंदयुक्त रचनाओं के कवि उदय नारायण सिंह ‘निर्झर’ ने अपनी काव्य रचनाओं के ज़रिये “सृजनिका” की सराहना की। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था “आशीर्वाद” की प्रतिनिधि सुश्री नीता वाजपेयी ने “आशीर्वाद” की 55 वर्ष की यात्रा को रेखांकित करते हुए साहित्य की समाज में उपयोगिता पर प्रकाश डाला। “सृजनिका” के उप सम्पादक प्रिंस ग्रोवर के उत्कृष्ट संचालन से सभी श्रोता गदगद हो गये। अंत में लोकप्रिय गृह पत्रिका “रेल दर्पण” के निवर्तमान वरिष्ठ सम्पादक, सुपरिचित कवि-गीतकार, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य और “सृजनिका” के मीडिया एवं जनसम्पर्क प्रभारी गजानन महतपुरकर ने अपने अनूठे अंदाज़ और सधे हुए शब्दों के साथ काव्यात्मक शैली में सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर 31 जुलाई, 2024 को मुंशी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर आयोजित कथा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को कार्यक्रम के अध्यक्ष संतोष कुमार झा और अन्य अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। कथा लेखन प्रतियोगिता में राजेश कुमार झा को प्रथम, भीमसेन सिंह को द्वितीय पुरस्कार और दो छात्राओं सुश्री रागिनी काम्बले एवं सुश्री आसिया शेख को संयुक्त रूप से तृतीय पुरस्कार प्रदान किये गये। इस कार्यक्रम में “सृजनिका” के मुद्रक मधु सावंत, परिदृश्य प्रकाशन के प्रभारी रमन मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार अलका अग्रवाल “सिग्तिया”, लेखिका सुश्री संगीता वाजपेयी, विजया मगर, आरती जड़िया, पुष्पा चौधरी, प्रिया पोकले, श्रेया एवं प्रमोद सहित मुंबई महानगर के कई सक्रिय लेखक और मुंबई विश्वविद्यालय के विभिन्न वर्गों के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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